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(११५) दया छ, अनंत गुण हितकारीरे; जे जे भावे करवी घंटे ते, करशो समय विचारीरे. प्रभु ॥९॥ दया विनानो धर्म नहीं छे, धर्म न हिंसा कमेरे; रागने द्वेष विना निष्कामी, रहे आवश्यक धर्मेरे. प्रभु० ॥१०॥ अल्प दोषने धर्म महा लाभ, दया कर्म आचरवारे; स्वाधिकारे तरतमयोगे, कर्म विवेके करवारे. प्रभु ॥ ११ ॥ प्रभु महावीर श्रद्धा नक्ति, पामी करुणा करशोरे; बुद्धिसागर परमब्रह्मने, शुद्ध बनीने वरशोरे. प्रभु० ॥१॥
कलश गीत. गाया गायारे प्रभु महावीर प्रेमे ध्याया॥ चारे भावना पुष्पथी प्रज्या, वीर जिनेश्वर राया; आतम ते महावीर प्रभुजी, घटमां व्यक्त सुहायारे. प्रभु ॥१॥ चार भावना द्रव्यने जावे, भावंतां प्रभु पाया; आत्म सरोघं जग सहु भास्यं, अनुजव रंग वधायारे. प्रभु० ॥ २ ॥ संवत् ओगणिश सत्योतरमां,
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