Book Title: Pooja Sangraha Part 2
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(३५२) गातां ध्यावतां, स्तवतां सर्व प्रकार; निज आतमनी शुद्धता, पूज्यपणुं निर्धार. ॥ ८॥
प्रथमा जलपूजा. श्रद्धा प्रोति जलवडे, पूजो महावोर देव; स. म्यग् दृष्टि योगथी, नासे मिथ्या टेव. ॥१॥ श्रद्धा प्रेमने सत्यनी-, जल पूजा सुखकार; सम्यग् दृष्टि भक्तने, नक्ति शिव देनार. ॥२॥ द्रव्यभाव सम्यकत्वथी, तुज सेवक नरनार; निश्चय मुक्तिपद वरे, जमे नहीं संसार. ॥ ३ ॥
सब जन धरम धरम मुख बोले. ए राग.
प्रभु महावीर जगत् जयकार, तीर्थकर उपकारीरे. प्रभु ॥ तुजपर श्रद्धा प्रीति धारी, की, शरण तुज भारी; ॐ अर्ह महावीर प्रजुजी, जापे लगनो धारीरे. महावीर० ॥१॥ शुद्ध गुण पर्यायना योग, निज उपयोंगे सुधारी; प्रभु तुज साथे मळि.
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417