Book Title: Pooja Sangraha Part 2
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
( ३६६ ) कलश धन्याश्रो.
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
कधी कधीरे प्रभु महावीर पूजा कोधी. या नंद मंगल लोला प्रगटी, भोगवी आतम ऋद्धिरे. प्रभु ॥ १ ॥ द्रव्यने जावथी गृहीने पूजा, त्यागीने जावथी सिद्धि; प्रभु गातां ध्यातां स्तवतां सुख, अष्ट सिद्धिनी समृद्धिरे. प्रभु० ॥ २ ॥ योग णिश अठयोत्तर वैशाखी, वदि चोथने सोमवारे; विद्या पुरमां पूजा रची शुभ, भवी जननां दुःखवारेरे. प्रभु० ॥ ३ ॥ प्रभु महावीर पूजायोगे, जैन संघोन्नति थाशो; जैन धर्म आराधी भव्यो, परमानंदने पाशोरे. प्रभु० ॥ ४ ॥ प्रभु पूजा भणतां ने गातां, थाशो संघ समृद्धि; बुद्धिसागर ऋद्धि वृद्धि, कोर्ति जय शिव सिद्धिरे. प्रभु० ॥ ५ ॥
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417