Book Title: Pooja Sangraha Part 2
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 402
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (३६९) जैन शासन भक्त श्री घंटाकर्ण महावीर पूजा. परब्रह्म परमातमा, महावीर जिनराज; इन्दादिक पूजे सदा, सर्व देव शिरताज ॥ १॥ चोवीशमा तीर्थकरा, विश्वोकारक देव; सर्व देवने देवीओ, करती प्रेमे सेव ॥२॥ यक्षयक्षिणी योगिनी, प्रभु पद ध्यावे बेश; बावन वीरो सेवता, टाळे नविना क्लेश ॥३॥ सर्व वीरमां श्रेष्ठ जे, महावीर शिरदार; घंटाकर्ण विराजता, प्रभु लक्त अवतार ॥४॥ परमातम महावीरना, परमजक्त बलवंत; घंटाकर्ण प्रसिद्ध छे, साझ करे गुणवंत ॥ ५॥ प्रभु महावीर देवना, भक्तो नरनेनार; तेओनां संकट टळे, समरे स्हाय थनार ॥ ६॥ सम्यग्दृष्टि भक्त , घंटा. कर्णजी वोर; साधर्मिक चक्ति करे, प्रगटे आतम धीर ॥ ७॥ साधर्मिक महावीरनी, पूजा गृही नरनार; करतां समकित निर्मगुं, करतां धरी दिलप्यार. ॥८॥ त्यागी मुनिवर कारणे, धर्म प्रभावन हेत; मंत्र स्मरे गुण बोलीने, धर्मवृद्धि संकेत. ॥ ९ ॥ For Private And Personal Use Only

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