Book Title: Pooja Sangraha Part 2
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 401
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ३६८ ) नक्ति करवा योग्य बे. परमात्म महावीर देवना भक्त रागी वीरने स्वधर्मी तरीके मानवामां पूजवामां का तिचार नथी. स्वधर्मी तरीके श्री घंटाकर्ण महावीर - नी सहाय इच्छवानी जेओनी इच्छा होय तेओए घंटाकर्ण महावीरनी पूजा आदिथी आराधना करवी. मिथ्यात्वी देव देवीनी सहाय इच्छवा करतां सम्यग् दृष्टि स्वधर्मी देव वीरनी सहाय इच्छवी ते विशेष उत्तम बे. गीतार्थ आचार्य मुनि मंत्र ज्ञाताओनी पासे रही मंत्र, विद्या, देवोपासना वगेरेनुं रहस्य स. मजवुं. जेओने चारनिकायना स्वधर्मी देवादिनी सहायादिनी इच्छा न होय, तेखोने माटे तो वीरादिनुं पूजन नथी इत्यादि सर्व बाबत गुरु गमथी जाणवी. For Private And Personal Use Only

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