Book Title: Pooja Sangraha Part 2
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal
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( ३७७ ) मुज० बुद्धिसागर ऋद्धि वृद्धि, कीर्ति जय जग पा वश्प्रेरे. मुज० ॥ ५ ॥
कलश गीत.
गायो गायोरे एम शासन वीरने गायो, पंच प्रकारे पूजा रचीने, समकित शुद्धिए छायोरे. एम. ॥ १ ॥ घंटाकर्ण महावीर पूजा, कीर्तनश्री गुप्ण पाम्रो; सम्यग्दृष्टिदेवती स्तुति करतां हर्षे उमाद्योरे. एम० ॥ २ ॥ तपगच्छ सागर शाखा मांहि, नेमिसागर गुरु रायो; रविसागर गुरु सुखसागर गुरु, जैनधर्म फेखायोरे. एम० ॥ ३ ॥ साधु यदि सर्व संघती, वृद्धि थाशो पसायो; सर्व प्रकारे उन्नति वाशो, आशीर्वाद सुहायोरे, एम० ||४|| ओगणिश श्रव्योत्तर अक्षय त्रीज, विजापुर जयकारो; बुद्धिसागर चढ़ते पहोरे, सुख पामो नरनारीरे. एम० ॥ ५ ॥
ॐ ह्री घंटाकर्ण महावीराय, सर्व क्षुद्रापद्रव सेग निवारणाय, इष्ट फलाभाय फलं यजामहे स्वाहा ॥ ॐ अहँ महावीर शांतिः
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