Book Title: Pooja Sangraha Part 2
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal
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( ३७१ ) गमां स्थापेरे. घंटाकर्ण ० || ४ || महिमा हारो जग गाजे, ज्यां त्यां जय डंको वाजे समरे रहेशो हजरा हजूर, त्हारु बिरुद न लाजेरे. घंटाकर्ण० ॥ ५ ॥ वनमां रणमां सागरमां, पृथ्वीतलमां अंबरमां; करोने धर्म कर्ममां साज, दरबारे ने घरमांरे. घंटाकर्ण ० ॥ ६ ॥ धूपे पूजी गुण गातुं, सम्यग् दृष्टि दिल लावुं; बुद्धिसागर शासन देव, जगमां स्थापी भावुरे. घंटाकर्ण० ॥ ७ ॥
मंत्र - ॐ घंटाकर्ण महावीराय, सर्व रोगोपद्रव शमनाय इष्ट लाभाय. शांति तुष्टि पुष्ट्यर्थे धूपं यजामदे स्वाहा.
द्वितीया दीपक पूजा.
सेवक अरज करे छे राज, अमने शिव सुख आपो. ए राग.
घंटाकर्ण महावीर बळिया धीर, शांति जगमां
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