Book Title: Pooja Sangraha Part 2
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
( ३७० ) धर्मी रागी सम किती, वीर करंतो स्हाय; सम्यग्दृष्टि धर्मीने, संकट आव्यां जाय ॥ १० ॥ धूपने दोपक पुष्पनी, सुखडी पूजा सार, सुवर्ण आदि वरखथी, पूजा छे श्रीकार० ॥ ११ ॥
प्रथमा धूपपूजा.
कानुको न जाणे मोरी प्रीत. ए राग.
घंटाकर्ण महावीर देव, अद्भुत महिमा धारीरे. घंटाकर्ण • समरंतां चढता व्हारे, संकट-पडियां टाळे, व्हारो महिमा अपरंपार, जक्तना रोग निवारेरे. घंटाकर्ण ० ॥ १ ॥ घंटाकर्णना मंत्रे, श्रद्धाथी विधि यंत्रे; साधे सिद्धे सघळां काज, गुरुगम भाषित तंत्रेरे. घंटाकर्ण ० ॥ २ ॥ प्रत्यक्ष दर्शन आपे, भक्तोना मनमां व्यापे; आपे धर्म करणमां साज, कष्टनी कोट। कापरे. घंटाकर्ण० ॥ ३ ॥ त्हारा मंत्रोना जापे, श क्तियो दिलमां छापे: तजरागी नरनेनार, धर्मने ज
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417