Book Title: Pooja Sangraha Part 2
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 405
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ३७२) पसारो; त्हारो महिमा अपरंपार हो वीर!!! संघमा शांति प्रचारो. ॥ मागुं न मागणपेठे स्वाथे, बाधा मान्यता सर्वे; राखे ते नहीं जैनो भक्तो, तुज प्रेमे रहियो अगवे हो वोर ! संघमां० ॥१॥ स्वार्थथी मान्यता बाधा वण हूं, धर्मर्नु सगपण धारी; दोपक करीने प्रेमे पूजें, निष्काम नाव वधारो, वीर! संघ. मां० ॥ २॥ याचक थइ तुज पासे न याचु, आतम प्रेमे राचुं; शुद्ध प्रेमथी सगपण साचुं, परमार्थे नित्य माचुं हो वीर ! संघमां० ॥३॥ लाज न जावा देजे वीरा, सहायक वड धीरा; महिमा न जूठो पडवा देजे, समकिती गुण होरा हो वीर !!! संघमां० ॥४॥ धर्मी वीरा साथे रहेशो, धमें स्हायने देशो; परमार्थे पूजनने वहेशो, कोई ध्यानमां लेशो हो वीर ! संघमां० ॥ ५॥ सर्व जगत्मां महिमा छवायो, उग्यो रवि न छुपायो; साधर्मिक प्रीतिए सुहा यो, कलिमा जागतो गायो हो वीर ! संघमां० ॥६॥ जेम घटे तेम मित्रनी पेठे, धर्ममा साथी रहेशो; बु For Private And Personal Use Only

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