Book Title: Pooja Sangraha Part 2
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 393
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ३६० ) प्रभु पाये; आनन्द प्रगटयो अतिशय जारी, ॠण्य भुवन न समाये. घटमां० ॥ ३ ॥ दिल फानस मन कोडीयामां, प्रीति घृत पूर्य सारुं; सद्विचार दीवेट करी शुज, ज्ञानाग्नि उजियारुं घटमां० ॥ ४ ॥ धर्म बुद्धिनो दीपक एवो, झळहळतो प्रभु ज्योते; प्रभु महावीर पासे शोभे, क्षयोपशम उद्योते. घटमां० ॥ ५ ॥ क्षयोपशमना ज्ञान दोपकथी, महावीर जिनवर पूज्या, बुद्धिसागर गुरुकृपाए, सत्य प्रकाशे सूज्या घटमां० ॥ ६ ॥ ॐ० प० महावोर जिनेन्द्राय - दीपं य० स्वाहा. षष्ठी अक्षत पूजा. अक्षत महावीर रूपनी, अनंत झळहळ ज्योत; अक्षतथ प्रभु पूजतां त्रय भुवन उद्योत ॥ १ ॥ दया दान दमशीलने, संतोषे महावीर; पूजंतां निज आतमा, शुद्ध बने महावीर ॥ २ ॥ सात्विकने जे For Private And Personal Use Only

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