Book Title: Pooja Sangraha Part 2
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(३५९ )
॥ पंचमी दीपक पूजा ॥ __ मतिश्रुत ज्ञानना दीपके, पूजा महावीर देव; करता दुर्गुण दोष सहु, नासे वे ततखेव. ॥ १॥ मिथ्या तम दूरेटळे, दीपक पूजा योग; केवल ज्ञा. नने दर्शने, मुक्तिपुर। संयोग.॥२॥ तिरोभाव निज ऋछिनो, आवि व जे थाय; यात्ममहावीर सिद्धता, देहछतां सोहाय. ॥ ३ ॥
आशा ओरनको क्या कोजे. ए राग. आशाउरी.॥
घटमां महावोर जिनवर भास्या, आपो आप प्रकाश्या. घटमां० चौदलोक आकारे मनुष्यनु, तनु मन्दिर जयकारी; असंख्यप्रदेशी यात्ममहावीर, शोजंतुं सुखकारी. घटमांग ॥ १॥ गुरुगम ज्ञाननी कुंचीयोगे, समकित द्वार उघाडयुं; मतिश्रुत आखे अनंत ज्योति, प्रभुनुं रूप निहाळ्यु. घटमां० ॥२॥ अनहद नादनो घंट वगाडयो, खळी लळी नमो
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417