Book Title: Pooja Sangraha
Author(s): Manikyasinhsuri
Publisher: Hiralal Bhagubhai Shah
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१४
पांचमी वारना सं. २००६ ना चरम चोमासा वखते नादुरस्त तबीयत होवा छतां खेडाना श्रावकाना अत्याग्रहने वश थई तेओ खेडा पधार्या हता. ते वर्षे व्याख्यानमां तेओश्री श्री उपदेशसप्ततिका वांचता हता. तेओश्रीना सदुपदेशथी खेडामां एक अट्ठाइ महोत्सव पण करवामां आव्यो हतो.
सं. २००७ना मागसर सु. ११ना रोज छेल्लं व्याख्यान वांच्या पछी तेओश्रीनी तबियत लथडी हती, सुद १३ना रोज बेचेनी वधी. पेटमा गेसनुं दर्द वधतुं चाल्यु, पण सूरीश्वरे अद्भुत शान्ति जाळवी, सु. १४ना रोज अमदावादथी आवेला बे भाईओ साथे सारी रीते वातचीत करी खुलासा कर्या, पण दरदतो वधतुज जतुं हतु. सु. १३थी आजीजी कर्या करता श्राक्कोने छेवटे सु. १४ना रोज साजना पांच वागे सीवील सर्जनने बोलाववानी अनुमति मळी अने दाक्तर साहेब आव्या पण खरा. पण ते काइ पण सारवार करे ते पहेलांज लघुशंका करतां ते महापुरुष ढळी पडी काळधर्म पाम्या.. ___ वात वायु वेगे फेलाइ गइ. जैन जैनेतरनां टोळे टोला दर्शनार्थे उलटयां. तारद्वारा गाम परगाम पण समाचार पहोंचाडवामां आव्या. मढीनी तैयारी थईने खेडाना भाविक श्रावक साह सांकळचंद मथूरदासने श्री संघनी अनुमतिथी अग्नि दाहनुं सघल्लं खर्च आपवानो लाभ मळ्यो. सुद १५नी सबारे अमदावाद, साबरमती अने पाटणथी घणा माणसो महाराजश्रीनी श्मशान यात्रामा जोडावा आवी पहोंच्या.
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