Book Title: Pooja Sangraha
Author(s): Manikyasinhsuri
Publisher: Hiralal Bhagubhai Shah

View full book text
Previous | Next

Page 126
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री वास्तुक पूजा ॥ढाल। वारी वारी जावं, श्रीधर्मनाथका ॥एदेशी॥ वारी वारी जावू, श्री शांतिनाथन्ति मुद्रा देखी राजी था । |ए आंकणी॥ मंगलमयल मूत्ति क्षित कांचन वरणी काय. सहस अष्टोत्तर लक्षण लक्षित, कांचन वरणी काय । __ मृग लक्षण मंगलमय मूर्ति, कोटी रसोम सूरज मेलविये, तोए न आवे होड ।। रूप २अनुत्तर सुरथी अधिकुं, जगमां नही जस जोड ॥वारी २ प्रियदर्शन ३शंकर परमेश्वर, भद्रंकर भगवान ॥ प्रभुजी म्हारे घर पधार्या, करवा मुज कल्याण ॥ वारी ॥३ चिंतामणि मुज कर तल चढियो, ५सुर तरु फलियो आज || शांति जिनेश्वर सेवन करतां, सिद्धयां सघलां काज॥ वारी०४ एणीपेरे वास्तुक पूजा करिये, हरिये पातक जाल ।। सरिमाणक श्री शांति समरिये, वरिये मंगल माल ॥ वारी वारी जावू, श्री शांतिनाथनी मुद्रा देखी० ॥५॥ ॥काव्यं गीति वृत्तं ॥ कांत कांचनकांति, भव्यनिशांतं ध्वस्तभवभ्रांतिं ।। शांतं भुवि कृतशांति, स्तुवे नितांतं जिनेश्वरं शांति ॥ १ ॥ ॥ मंत्रः ॥ ओ ही श्री परमपूरुषाय, परमेश्वराय, जन्मजरामृत्युनिवारणाय, श्रीमते शांतिजिनेंद्राय, १ चंद्र. २ अनुत्तर विमानना देव. ३ सुख करनार. ४ हाथ. ५ कल्पवृक्ष, ६ पाप. ७ समूह. For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145