Book Title: Pooja Sangraha
Author(s): Manikyasinhsuri
Publisher: Hiralal Bhagubhai Shah

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Page 135
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री दीपाली देववंदन ॥ अथ द्वितीय चैत्यवंदनं ॥ १ पृथिवीनंदन गुणनिधि, गोब्बर गाम निवास || इंद्रभूति ब्राह्मण कृती, रहि घर वर्ष पचास || १ || दीक्षा. पणशत छात्रशुं लिये चरम जिनपास || तीश वर्ष वीत्या पछी, पाम्या केवल खास || २ || बार वर्ष केवली सवी, बाणु वर्षनुं आय ॥ मुनिमाणक गौतम गुरु, नमतां शिवसुख थाय ॥ ३ ॥ ॥ इति द्वितीय चैत्यवंदनं ॥ ॥ अथ तृतीय चैत्यवंदनं ॥ वीर वदनथी सांभली, वेदपदार्थ उदार ॥ जीवतणो संशय तजी, लीधो संजमभार ॥ १ ॥ चौदपूर्व रचियां जिणे, त्रिपदी पामी सार || इंद्रभूति गणधर जयो, जिनसाशन शिणगार ||२|| लब्धिवंत महिमानिलो, मुनि माणक गुण ६शाल ॥ श्रीगौतम गुरु नामथी, नित नित मंगलमाल ॥ ३॥ ॥ इति तृतीय चैत्यवंदनं ॥ ११३ ॥ अथ श्री गौतमस्तुतिः ॥ ॥ ऋषभ चंद्रानन चंदन कीजे ॥ ए चाल ॥ इंद्रभूतिवर कनक द्युति ९कर सात शरीर गंभीरजी, गौतम गणधर प्रथम सुकर श्रीमहावीर वजीरजी ॥ अन्यपणुं मन करतां चिंतन दीवाली परभातजी, केवल १० कमला पाम्या १ पृथ्वीमाताना पुत्र. २ पंडित. ३ पांचसो ४ मुनिभोमां रत्न समान. ५ मुखथी. ६ घर. ७ सोनुं. ८ कांति. ९ हाथ. १० लक्ष्मी. For Private And Personal Use Only

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