Book Title: Pooja Sangraha
Author(s): Manikyasinhsuri
Publisher: Hiralal Bhagubhai Shah

View full book text
Previous | Next

Page 139
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री दीपाली देववंदन ११७ भरोरे लोल || भ० || दानादिक शुभधर्म परम स्वस्तिक करोरे लोल ॥ ४ ॥ भ० ॥ शीयल विमल शिणगार सरस अंगे धरोरे लोल ॥ भ० ॥ तपजप सेवसुंवाली सुंदर आदरोरे लोल ॥ ५ ॥ भ० || मैत्रादिक वरभावन मिठाइ लहोरे लोल || भ० ॥ सत्यवचन तंबोल वदनकमले ग्रहोरे लोल || ६ || भ० ॥ उज्वल ज्ञान १ प्रदीप प्रकाश प्रमाणियेरे लोल ॥ भ० ॥ मेराइयां सझायविवेक वखाणियेरे लोल ॥ ७ ॥ भ० ॥ साधर्मिक संयोग स्वजन सम जाणियेरे लोल ॥ भ० || सुगुरुवचन रसपान अमृतरस मानियेरे लोल ॥ ८ ॥ भ० ॥ समता ध्वनिताशुं मनमंदिरमां ठरोरे लोल ॥ भ० ॥ भावदीवाली आराधी भवजल तरोरे लोल ||९|| भ० || शुद्ध रूप वरवा जिनगुण कीर्ति करोरे लोल ॥ भ० ॥ करि शासन उद्योत अमरपदवी वसेरे लोल || १० ॥ भ० ॥ मुनि "मंडल शिरताज गुमानविजय गुणीरे लोल ॥ भ० ॥ प्रणमो श्रीपन्यासप्रताप विजय गणीरे लोल ॥ ११ ॥ भ० ॥ राजनगर लोहकार तोली उपाशरेरे लोल ॥ भ० ॥ रही चोमासुं सार अजितजिन आशरेरे लोल || १२ || भ० || कमनश्रवण शरनंदी शशी १९५८ संवत्सरेरे लोल || भ० || बाहुल बहुल त्रयोदशी १०भृगुसुत ११वासरेरे लोल ॥ १३ ॥ भ० ॥ निज गुरुनी आणाथी ए रचना करीरे लोल ॥ भ० ॥ माणकविजय मनोरम १३ जयकमला वरीरे लोल ॥ १४ ॥ 1 ।। इति श्री दीपालिका देववंदनं समाप्तः || १ दीवो. २ सरिखा. ६ जल. स्त्री. ५ समूह. ६ लुहार. ७पोळ. ८ कार्तिक. ९ वदी १० शुक्र. ११ दिवस. १२ सुंदर. १३ जयलक्ष्मी. For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 137 138 139 140 141 142 143 144 145