Book Title: Pooja Sangraha
Author(s): Manikyasinhsuri
Publisher: Hiralal Bhagubhai Shah

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Page 144
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२२ . पूजासंग्रह त्रीजे पद सरि नमो जिन शासन आधार । दीपक सम जग दीपता, छत्रीश गुण भंडार॥ चोथे 'पाठक प्रणमो धादि मतंगज केशरीरे, सुंदर आगम ध्वायण दायक मुनि हितकार ॥ सेवो सेवो० ॥२॥ शाखी ॥ सकळ साधुपद पंचमे, वंदो भाव विशाळ ॥ साधे जे शिव मार्गने, ज्ञान ध्यान उजमाळ ॥ छठे इग दुग तिग चउ पण दश सडसठ भेदथीरे, नमीये दर्शनपद सघळा गुणनो शणगार ॥ सेवो० ॥ ३ ।। शाखी ॥ ज्ञान नमो पद सातमे, पंच एकावन भेद ॥ स्वपर प्रकाशक जे करे, ५जडतानो उच्छेद ॥ अष्टम पद चारित्र अनंतर कारण मोक्ष-रे, भजिये रिक्त करे जे अष्ट करम संभार ।।सेवो०॥४॥ शाखी॥ नवमे तप पद वदिये, रोग विधन अपहार । कर्म गहन वन दहन जे लन्धि सिद्धि दातार ॥ ए नवपदमां धर्मी पंच धरम चउ जाणियेरे, देव गुरुने धर्म इमां छे दो तीन चार सेवो० ॥ ॥५॥शाखी ॥ आसो चैतर मासमां, शुद सातमथी सार । आंबिल नव दिन कीजीये, पडिकमणां बे वार । पडिलेहण तिम करिये देववंदन त्रण टंकनारे; जिन पूजन त्रण वेळा गुरणु दोय हजार ॥ सेवो० ॥६॥शाखी ।। साढाचार वरश लगे; त्रिकरण जोग समार || इण विधि तप आराधिये, तो तरीये संसार ।। श्री सिद्धचक्र प्रतापे कमळा विमळा पामियेरे, कहे मुनिमाणक पाम्यां जिम मयणा श्रीपाल ॥ सेवो सेवो भवियां भावे श्री सिद्धचक्रनेरे ॥ ७ ॥ (सं. १९५३) १ उपाध्याय.२ हाथी ३ सिंह. ४ वाचना आपनार, ५ अज्ञान. ६ समूह. ७ अग्नि. ८ लक्ष्मी . For Private And Personal Use Only

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