Book Title: Pooja Sangraha
Author(s): Manikyasinhsuri
Publisher: Hiralal Bhagubhai Shah
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
१०४
श्री वास्तुक पूजा
॥ काव्यं ॥ गीति वृत्तं ॥ कांत कांचनकांति, भव्यनिशांत ध्वस्तभवभ्रांति ॥ शांतं भुवि कृतशांति, स्तुवे नितांतं जिनेश्वरं शांतिं ॥१॥
॥ मंत्रः ॥ ओ ही श्री परम पूरुषाय, परमेश्वराय, जन्मजरामृत्युनिवारणाय, श्रीमते शांतिजिनेंद्राय जलं० चंदनं० पुष्पं० धूपं० दीपं० अक्षतं० नैवेद्यंग फलं० यजामहे स्वाहा ।। इति चतुर्थ पूजा संपूर्णा ॥ ॥ अथ पंचम पूजा प्रारंभः॥
॥दोहो॥ पपुरंदर पूजित २प्रगे, भाली सुतने भूप ॥ हर्षित ५पुलकित थई हवे, उत्सव करे ६अनूप ।। १ ॥
॥ ढाल ॥ राग धोल । ॥ राम लक्ष्मण वनमा सिधावता ॥ ए देशी ॥ हवे ऽपृथिवी पति निज पुत्रनो, करे जन्म महोत्सव चंग, धरी मनरंग ।।मोहन वाजांवागिया।। सवी बंधीखाना छोडावियां, वधरावियां मानोन्मान, प्रमोद निदान ॥मोहन वाजां वागियां । वाजां वाग्यां जिनेश्वर द्वार, आनंद अपार ॥ मोहन वाजां वागियां ॥ ए आंकणी ।। १॥ १गजपुर नगर शणगारियु, सुरभि जल ११भू सिंचाय,
१ इन्द्रे पूजेल. २ सवारमां. ३ पुत्रने. ४ राजा. ५ रोमांचित, ६ निरुपम. ७ राजा. ८ आनंद. ९ कारण. १० हस्तिनापुर. ११ पृथ्वी.
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145