Book Title: Pooja Sangraha
Author(s): Manikyasinhsuri
Publisher: Hiralal Bhagubhai Shah
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श्री दीपालिका देववंदन विधिः
प्रथम ईर्यावही पडिक्वमो महावीर स्वामी- पहेलं चैत्यवंदन कहेवू. पछी किंचि कही नमुथ्थुणं कही अडधा जयवीयराय (आभवमखंडा सुधी) कहेवा. पछी महावीरस्वामीनुं बीजुं चैत्यवंदन, किंचि, नमुथ्थुणं कही, अरिहंत चेयाणं, अन्नथ्य कही, एक नवकारनो काउसम्ग करी, पारीने नमोहंत० भणी पहेली थोय कहेवी. पछी लोगस्स सन्बलोए अरिहंत वेइयाणं, अन्नथ्य कही एक नवकारनो काउसग्ग करी बीजी थोय कहेवी, पछी पुरकरवरदीवड्ढे कही वंदणवत्तियाए, अन्नथ्य कही एक नवकारनो काउसग्ग करी वीजी थोय कहेवी. पछी सिद्धाणं बुद्धाण, वेयावच्चगराणं, अन्नथ्थ कही एक नवकारनो काउसग्ग करी, पारीने नमो. ईत्० भणी चोथी थोय कहेवी. पछी नमुथ्थुणं, अरिहंत चेइयाणं प्रमुख प्रथमनी रीते कही महावीर स्वामीनी बीजो थोयोनो जोडो कहेवो. पछी नमुथ्युण, जातिचेहयाई, जावंत केवि साहु, नमोहत० कही महावीर स्वामीनुं स्तवन कहे, पछी अडधा जयवीयराय कही महावीर स्वामीन त्रीजुं चैत्यवंदन, किंचि, नमुथ्थुणं कही पूरा जयवीयराय कहेवा एज रीते गौतमस्वामीना देव वांदवा. पछी अर दीवालीनुं गीत कहे. ॥ इतिश्री दीपालिका देववंदन विधिः ॥
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