Book Title: Pooja Sangraha
Author(s): Manikyasinhsuri
Publisher: Hiralal Bhagubhai Shah

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Page 132
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ११० श्री दीपाली देवचंदन १हरि लांछन वर सात हाथ, कांचनवर्ण शरीर ॥१॥ तीश वर्ष घरमां वसी, लहि चारित्र प्रधान ॥ बार वर्षे छमस्थ रही, पाम्या केवल ज्ञान ।। २ ॥ तीश वर्षे प्रभु केवली, बहोतेर वर्षनु आय ।। पाली दीवाली दिने, जिनमाणक शिव जाय ॥३॥ ॥ इति तृतीयचैत्यवंदनं ॥३॥ ॥ अथ श्रीवीरस्तुतिः ॥ शांति जिनेश्वर समरिये ॥ ए चाल ॥ त्रिशला नंदन केवली महावीरजिणंद, सोल पहोरनी देशना दीधी सुखकंद ।। नव मल्लकी नव लेच्छकी सुणी गण राजिंद, योग नीरोधी पामिया प्रभु पद महानंद ।। १ ।। आदीश्वर मुक्ति गया करी षट उपवास, बावीश शिव पदवी लह्या करी अणसण मास ।। वीर २महोदयने वर्या छठ तप करी खास, कार्तिक मास अमावसी स्वाति चंद्र विलास ॥ २ ॥ पुण्य पाप फल केरडां अध्ययन उदार, ३एकशत दश प्रभु भाखियां भविजन हितकार ॥ उत्तराध्ययन प्रकाशियां छत्रीश प्रकार, ते आगमने सांभली लहो भवजल पार ।। ३ ।। देव देवी मलीने करे उत्सव परधात, गौतम इंद्रभूति लहे ध्वर केवल ज्ञान ।। १ सिंह. २ मोक्ष. ३ एकसो दश. ४ सूंदर. For Private And Personal Use Only

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