Book Title: Pooja Sangraha
Author(s): Manikyasinhsuri
Publisher: Hiralal Bhagubhai Shah
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
१२
श्री मात्रपूजा. मजन करी निर्मल जले जिन, मातने जिन अंग ॥ पहेरावी वर शणगार बाँधी, राखडी मनरंग ॥ घर शयन पधरावी कहे हे, रविश्वमाणक इश ॥ रवि चंद्र गिरि सम जीवजो इम, जाय देइ आशीश ॥३॥
॥ दोहो ॥ इंद्रासन कंपे हवे इंद्र सकल ततकाल ॥ अवधि ज्ञाने जाणता, जनम्या जिनप दयाल ॥१॥ सिंहासनथी उठीने, सनमुख पग २सग आठ॥ जइ प्रणमे जिनराजने, करि शकस्तव पाठ ॥२॥
॥ गीति ॥ शक सुघोषा घंटा, वजडावी उदघोषे सुरलोके ॥ जिन जन्मोच्छव करवा, ४मंदरगिरि चालो सुर मलि थोके ॥१॥
॥ ढाल ॥ छही ॥ ॥ तीर्थकमल दल उदक भरीने, पुस्कर सागर आवे ॥
॥ए देशी ॥ सुरवर कोडी होडाहोडी, तव मंदरगिरि जावे ॥ पहरि उछरंगे बहु सुरसंगे, जिनवर मंदिर आवे ॥ मातने वंदी मन आनंदी, श्रीजिनराज वधावे ॥ कहे जिनमाता जग विख्याता, तुज तोले कोइ नावे ? १ जगतमा रत्नसमान २ सात. ३ आ ठेकाणे घंट वगाडवो ४ मेरू पर्वत. ५ ईद्र.
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145