Book Title: Pooja Sangraha
Author(s): Manikyasinhsuri
Publisher: Hiralal Bhagubhai Shah
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श्री महावीर जिन पंचकल्याणक पूजा
अवल बन्या अणगारा अणगारा ॥ भविजन ॥ समिति गुप्ति शोभित सोभागी, निरुपलेप निस्नेह निरागी॥ प्रतिबंध चउ तजनारा तजनारा ॥ भविजन ॥१॥ परम ज्ञान दर्शन १व्रतधारी, २परमालय प्रभु परम विहारी॥
वीय परम वरनारा वरनारा ॥ भविजन ॥ अज्जव मद्दव लाघव पुष्टि, क्षांति मुक्ति गुप्ति तुष्टि । सत्य परम सेवनारा सेवनारा ॥ भविजन० ॥२॥ निद शयन जागरण निवारी, उज्जागरण दशा अवदारी ॥ ध्यान शुकल धरनारा धरनारा ॥ भविजन० ॥ शक्ति अपूरव योगे स्वामी, क्षपकश्रेणि चढी आतमरामी। घाति करम हणनारा हणनारा ॥ भविजन० ॥३॥ ३माधव शुदि दशमी मनोहारी, चंद्र उत्तरा फाल्गुनी चारी ॥ विजय मुहूर्त शुभकारा शुभकारा ॥ भविजन० ॥ साल तरु तले छठ तप शाली, वरिया केवलश्रीरूपाली॥ सरिमाणक प्रभु प्यारा प्रभु प्यारा ॥ भविजन पूजो भावभुं ४
॥दोहा॥ सर्ववेदी जिन केवली, हवे थय अरहंत ॥ जाणे जीवाजीवना, भाव सकल भगवंत ॥ १ ॥ प्रथम समवसरणे प्रभु, जिम स्थलपर जलधार ॥ दीधी क्षणभर देशना, निष्फल गइ निरधार ॥ २ ॥ १ चारित्र. २ निर्दोष वसति सेवन. ३ वैशाख. ४ सर्वश.
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