Book Title: Pooja Sangraha
Author(s): Manikyasinhsuri
Publisher: Hiralal Bhagubhai Shah

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Page 121
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री वास्तुक पूजा दिशाकुमारी, उत्सव करती उदार || अति उलट० ॥ २ ॥ आठ कुमारी पंखा धरती, चामर ढाले आठ ॥ चार कुमारी दीपक १ चारु, लेइ उमी बहु ठाठरे || देखवा मनोहारी, मोक्षनी बारी, दिशा कुमारी उत्सव करती उदार || अति उलट० ॥ ३ ॥ कदली सदन रची चार कुमारी, जिन जिन ३अंबा अंग ।। अभ्यंजन पूर्वक न्हवरावी, पहेरावे "भूषण चंगरे ॥ बांधी राखडी सारी, मंदिर धारी, दिशाकुमारी उत्सव करती उदार ।। अति उलट० ॥ ४ ॥ जगचिंतामणि जग धणी जगगुरु, जग बांधव जयकार | ७ शशि रवि गिरि सम जीवजो स्वामी, गुणमाणक भंडाररे ॥ इम आशीश भारी, मुख उच्चारी, दिशाकुमारी, उत्सव करती उदार ॥ अति उलट धारी० ॥५॥ ॥ काव्यं ॥ गीति वृत्तं ॥ १०१ कातं काचनकांर्ति, निशांतं ध्वस्तभव भव्यभ्रांति ॥ शांतं भुवि कृतशांतिं स्तुवे नितांत जिनेश्वरं शांतिं ॥ १ ॥ ॥ मंत्रः ॥ ॐ हीँ श्रीँ परमपुरुषाय, परमेश्वराय, ओ जन्मजरामृत्युनिवारणाय, श्रीमते शांतिजिनेंद्राय, जलं० चंदनं ० पुष्पं० धूपं० दीपं० अक्षतं • नैवेद्यं० फलं यजामहे स्वाहा ॥ ॥ इति तृतीय पूजा संपूर्णा ॥ १ सुंदर. २ श्रण केळनां घर. ३ माता. ४ तैल मर्दन. ५ अलंकार ६ रक्षा पोटली. ७ चंद्र. ८ सूर्य. ९ पर्यंत. For Private And Personal Use Only

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