Book Title: Pooja Sangraha
Author(s): Manikyasinhsuri
Publisher: Hiralal Bhagubhai Shah

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Page 120
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org १०० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री वास्तुक पूजा सुखियां जगमां सहु संसारी || शांति० ॥ ४ ॥ १ हरि मुख ग्रह उत्तम शुभ लगे, २ रजनी नायक भरणी चारी ॥ शांति ॥ मध्य निशा समये मनमोहन, जनम्या जिनमाणक जयकारी || शांतिजिणंद ० ॥ ५ ॥ ॥ दोहो ॥ छप्पन दिक्कुमरी तदा, आणी हर्ष अपार ॥ ति करणी करवा भणी, आवी अवधि विचार ॥ १ ॥ || ढाल || राग माढ || मेरे गमका तराना ॥ ए चाल ॥ अति उलट धारी, दिशा कुमारी, उत्सव करती उदार ॥ रेनिज कल्प विचारी, मंगलकारी, दिशाकुमारी, उत्सव करती उदार ॥ ए आंकणी ॥ जिन जिनजननीने वंदी जुगते,, आठ कुमारी ईशान || रसूति सदन बनावे, एक योजन परिमाणरे ॥ "कचवर अपहारी, भूमि समारी, दिशा कुमारी उत्सव करती उदार ॥ अति उलट० ॥ १ ॥ आठ कुमारी 'सुरभि ९अनुत्तर, वरसावे जल फूल || आठ कुमारी आगल उभी, दर्पण लेई अमूलरे || आठ जलनी १० झारी, हाथमां धारी, १ सूर्यप्रमुख. २ चंद्र. ३ पोतानो आचार. ४ ईशान कोणमां. ५ सुंदर. ६ घर. ७ कचरो. ८ सुगंधीदार. ९ उत्तम. १० कलश. For Private And Personal Use Only

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