Book Title: Pooja Sangraha
Author(s): Manikyasinhsuri
Publisher: Hiralal Bhagubhai Shah

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Page 114
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 20 श्री वास्तुक पूजा ॥ ढाल॥ ॥ नागर वेलीयो रोपाव, तारा राज महेलोमां ॥ ए देशी ॥ मंजुल सिंहासन मंडाव, तारा नवीन आवासे ।। पावन शांति प्रभु पधराव, तारा नवीन प्रासादे ॥ ए टेक ॥ निर्मल नीरे न्हवरावी, चंदन चरची पुष्प चढावी ॥ धूप सुगंधित सरस धराव, तारा नवीन प्रासादे ॥ मंजुल०१ लावी गवरीचें घी ताजु, बंधुर दीपक जमणी बाजु ॥ परम ५प्रमोद धरी प्रगटाव तारा नवीन प्रासादे ।। मंजुल०॥२॥ अक्षत नैवेद फल जिन आगे, मूकी सुंदर सुस्वर रागे ॥ गंभीर गीत मधुर गवराव, तारा नवीन प्रासादे ॥ मंजुल० ३ कोडे जिन पुर नृत्य करावी, वाजितर बहु विध वजडावी ॥ भावे भव्य भावना भाव, तारा नवीन प्रासादे ॥ मंजुल ४॥ ६जगती माणक अंतरजामी, इणविध पूजी शांति स्वामी ॥ लक्ष्मी लीला मंगल लाव, तारा नबीन प्रसादे । मंजुल०॥५ ॥दोहो । गावे गुण शांति तणा, भावे भवियण जेह ॥ रिद्धि सिद्धि सुख संपदा, पावे निश्चे तेह ॥१॥ ॥ दाल ॥ राग कालिंगडो ॥ अथवा श्रीराग ॥ ॥ वंदो विश्वानंदन वीर ॥ ए देशी ॥ गावो शांति गुण पुण्यवान ।। ए आंकणी ॥ १ संदर. २ घरमां. ३ गायनु. ४ सुंदर. ५ आनंद. ६ जगतमा रत्न समान. For Private And Personal Use Only

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