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श्री ब्रह्मचर्य व्रत पूजा. ॥ अथ गीतं ॥ राग सोहनी ॥ ताल गझल ॥ ॥ दाह उठी छे दुखनी दीलमां, शी रीते ठंडी थशेः राग॥ आज आशा राखीने आविया, अरिहानी पासे अमे ।। चाह लागी छे ब्रह्मनी चित्तमां, ते पूरो स्वामी तमे।आज०॥१॥ देव दुनियामां बीजा देखीया, भूरि भव भूला भभे॥ आश तेनी तो मनमां न आणिये, २रामा संगे रमे |आज०॥२॥ दर्पक जीपक जिन देव छो, नेरी पण तमने नमे ॥ सरि माणक श्रीजिन सेवतां, ५श्रीनंदन स्हेजे शमे आज०॥३॥
॥ इति द्वितीय चंदन पूजा संपूर्ण ॥
॥ अथ तृतीया कुसुम पूजा प्रारंभ ।।
॥दोहा ॥ ६कुसुम कांडने कापवा, कुसुम लही कमनीय ।। पूजो पुष्कल प्रेमथी, जिनवर जग ८महनीय ॥१॥ पावन पुष्पे पूजिये, पारंगतना पाय ॥ काम दशा दश कारमी, जेथी दूरे जाय ॥ २ ॥
॥ ढाल ॥ ताल लावणी ॥ कोइन कयु कइ थाय नही सह कम छे करनार ॥ए देशी ॥ पारंगत पद पूजिये, जिम काम अवस्था जाय ॥
१ बहु. २ स्त्री. ३ काम ४ इन्द्र. ५ काम. ६ काम. ७ सुन्दर. ८ पूजवा योग्य. ९ अवस्था.
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