Book Title: Pooja Sangraha
Author(s): Manikyasinhsuri
Publisher: Hiralal Bhagubhai Shah

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Page 78
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५८ श्री महावीर जिन पंचकल्याणक पूजा ।। ढाल बीजी॥राज वढंस ॥ ॥ नाथ कैसे गजको बंध छोडायो ॥ ए देशी ॥ बिडोजा एणीपेरे चित्त विचारे ॥ अनुपम २आगमने आधारे ।। बिडोजा० ॥ ए आंकणी॥ उत्सर्पिणो अवसर्पिणी, जाय अनंती ज्यारे । अच्छेरा भूत उपजे एवो, कोइक पदारथ त्यारे ॥ विडोजा०१ नीच गोत्र कुल मदथी निकाच्यु, मरिचीतणे अवतारे ।। आवी ब्राह्मण कुल अवतरिया, एह करम अनुसारे ॥ ॥बिडोजा० ॥ २॥ जो कदी इम उपजे पण जिन ३जनि, निच कुले नवि धारे ॥ इंद्राचारथी उत्तम कुलमां संक्रंदन संचारे ॥ विडोजा० ॥३॥ माटे महाकुल जिनमाणकने, मुकवा जोइये म्हारे ॥ "एतादृश अभिलाष ६अकुंठित, आखंडल अवधारे॥ बिडोजा एणी पेरे ॥४॥ ॥दोहा॥ हरि नैगमेषीने व्हरि तेडी कहे ततकाल ॥ माहणकुंड नगर जइ, लइ जिन जगत दयाल ॥१॥ क्षत्रियकुंड नगर विशे, सिद्धारथ भूपाल ॥ १ इंद्र. २ शान. ३ जन्म. ४ इंद्र. ५ एवो. ६ मजबूत ७ इंद्र.. ८ इंद्र. For Private And Personal Use Only

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