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श्री ब्रह्मचर्य व्रत पूजा भविजन पूजा एह भणावो, निर्मल मन वच काया ॥ पाली शील महोदय पाचो, सुख मंगल २समुदाया ॥सेवो०॥१४॥ बोधि दाता ब्रह्म विधाता, तारक त्रिभुवन ताया ॥ पसरि माणक ६सर्वज्ञ शिवंकर, वंदी पूजी वधाया ॥ सेवो सजन ॥१५॥
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ARRESTEETE NE TEHERE TER E STS ॥ इति वाचनाचार्य श्री विजयमाणिक्यसिंहसरिकृत
श्रीब्रह्मचर्यव्रत गर्मिताष्टप्रकारीपूजा संपूर्णा ॥
१ मोक्ष अथवा म्होटो उदय. २ समूह. ३ सम्यक्त्वं ४ ब्रह्मचर्य अथवा आत्मस्वरूप अथवा मोक्ष. ५ आचार्योमां अथवा पंडितोमा रत्नसमान. ७ जिनेश्वर.
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