Book Title: Patliputra Ka Itihas
Author(s): Suryamalla Yati
Publisher: Shree Sangh Patna

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Page 20
________________ तटपर एक ऐसा रम्य स्थान है, कि यदि वहाँ नगर बसाया जाये, तो राज्यकी वृद्धि होगी और प्रजाको भी स्वं प्रकारका सुख होगा।" उन्हीं नैमित्तिकों से एक वृद्ध नैमित्तिकने पाटलिवृक्षकी उत्पत्तिके विषयमें निम्नलिखित (उपाख्यान ) कथाका वर्णन किया। पाटलि वृक्षकी उत्पत्ति तथा अनिका पुत्राचार्यका चरित्र । इसी मगध-देशमें मथुरा नामके दो नगर थे; एक उत्तर मथुरा और दूसरा दक्षिण मथुरा कहलाता था। ये दोनोंही नगर बड़े • रम्य तथा समृद्ध थे। उत्तर मथुरामें देवदत्त नामका एक ऐश्व. र्यशाली बणिक रहता था। एक दिन वह यात्राके निमित्त दक्षिण "मथुरामें गया। यहाँ भी जयसिंह नामका एक बणिक रहता था। यह धन-धान्यसे युक्त प्रसिद्ध व्यक्ति था। देवदत्तके बहाँ कुछ दिन रह जानेपर उसकी जयसिंहके साथ गाढ़ी मित्रता हो गयी। जयसिंहके अनिका नामकी एक परम सुन्दरी कुमारी बहिन थी। एक दिन जयसिंहने देवदत्तको भोजन करनेके लिये अपने यहाँ निमन्त्रित किया। दोनों मित्र एक साथ ही भोजन करनेके लिये अपने-अपने आसनपर बैठे। उनके बैठ जानेपर अनिका सुन्दर सुन्दर वस्र तथा बहुमूल्य अलङ्कारोंसे अलंकृत हो अपने भाई तथा उनके मित्र दोनोंके थालमें भोजन परोसकर

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