Book Title: Paryushanasthahnika Vyakhyan Author(s): Manivijay Publisher: Hirachand Hargovan Kapadia View full book textPage 4
________________ छपावी प्रगट करवा छतां खलास थइ जवाथी आ त्रीजी आवृत्ति छपाववानी अमारे फरज पडी छे. पण अमारे महादिलगीरी साथे जणावq पडे छे के हालमां कीर्तिदान करवावाळानी संख्या ढगले ढगले वधी पडी छे, पण साचा ज्ञान-दाननी कदर करनारा जैन समाजमा अत्यारे बहुज ओछा जोवामां आवे छे. ___आ चोथी आवृत्ति छपाववामां मासर रोड निवासी शाह मंगळदास चुनीलाले अमारा कह्या विना पण रु. १५०) दोढसो पोतानी माताजी दीवाळीबाना स्मरणार्थे आपी घणी ज उदारता बतावी छे, तेमज बाकी रहेता रुपीया शा. हीराचंद हरगोवन कापडीया भावनगर निवासी हस्तक ज्ञानना आवेल ते तेमणे आप्या छे. भाग्यशाळी जीवो पैसा आपी अने साधु-साध्वीओनी ज्ञाननी भक्ति करे छे. अमो पण आ प्रत अमूल्य भेट आपीए छीए. छतां पण अमारे महाखेद साथे जणावतुं पडे छे के-केटलाएक साधु-साध्वीओ आ प्रत लइ जइ बुकसेलरोने त्यां वेचे छे अने बुकसेलरो पण पोताना वेचवाना पुस्तकोमां अमारा छपावेला अष्टाह्निका व्याख्यान भाषांतर तथा चोमासी व्याख्यान भाषान्तर साधु-साध्वीओने भेट आप्या छतां बुकसेलरोना पुस्तकोना लीस्टमा किंमतथी वेचाण तरीके छपावेल नामो अमारा जोवामां आवे छे. तो दरेक साधु-साध्वीओने सूचना करवामां आवे छे के-कोइ साधु-साध्वीए आ प्रत पोताना पासे होय तो फरीथी बीजी मंगाववी नही अने बुकसेलरोने वेचाण आपी पापना भागीदार बनवु नहि. लेखकः मणिविजयPage Navigation
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