Book Title: Paryushanasthahnika Vyakhyan
Author(s): Manivijay
Publisher: Hirachand Hargovan Kapadia
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भाषान्तरम्
पर्युषणाष्टाह्निका व्याख्यान
॥ २५॥
धरणेंद्र प्रत्ये भायल बोल्यो के-महारा नामनी ख्याति थाय तेम करो, तेथी धरणेंद्रे कयु के एम ज थशे. चंडप्रद्योतन राजा विदिशापुरीनगरीने तहारा नामथी देवकुनगर करशे; परंतु अर्द्ध पूजा करेली होवाथी आगामीकाले गुप्तपणे ते प्रतिमानी मिथ्यादृष्टियो पूजा करशे अने ते प्रतिमा आदित्य भायलस्वामी आ छे एम कहीने बहार स्थापन करशे माटे तुं खेद करीश नहि. दुषमकाळना वशवर्तीपणाथी भविष्यकाळे एम ज थशे. त्यारवाद भायल पाछो गयो. हवे वीत्तभयपत्तनने विषे प्रातःकाळे जेनी माला म्लानिपणाने पामी गइ छे एवी मूर्तिने देखी तथा दासीने नहि देखवाथी तेमज हस्तिोना मदने उतरी गयेला देखी. चंडपद्योतन आवीने प्रतिमा तथा दासीने लइ गयो छे एवो निश्चय करी सोल देशनो धणी अने त्रणसो त्रेसठ नगरनो स्वामी श्रीउदायन राजा संग्राम करवा तत्पर थयो थको महासेनादि दश मुकुटबद्ध राजाओ सहित विस्तारवारों सैन्य लइने चाल्यो. मार्गमां गमन करतां उष्णकाळने विषे पाणी नहि मळवाथी सैन्य दुःखी थवा लाग्यु, ते समये राजाए प्रभावती देवीनुं स्मरण करवाथी देवता जल्दीथी आव्यो अने मार्गने विषे जूदे जूदे स्थळे त्रण सरोवरने पाणीथी भरपूर करी स्वर्गलोकने विषे गयो. अनुक्रमे चंडपद्योतन तथा उदायन राजाना सैन्य एकत्र थयां, ते अवसरे उदायन राजाए चंडप्रद्योतनने | कहेवराव्यु के-वैर तो आपणा बन्नेने छ तेमां हजारो अने लाखो माणसोनो संहार फोगट : करवो सारो नहि; माटे आपणे बन्ने जणाए ज युद्ध कर. सैन्यना माणसो तटस्थ रहीने आपणा युद्धने देखे. चंडप्रद्योतने तेम करवानी हा पाडवाथी उदायन राजाए कहेवराव्युं त्यारे चंडपद्योतने कह्यु के-रथ उपर वेसीने युद्ध करवू. ते उदायन राजाए कबुल कयु अने सत्य प्रतिज्ञावाळो उदायनराजा प्रभातकालने विषे शस्त्र सजी, सन्नद्धबद्ध थइ रथ उपर बेसीने
॥ २५ ॥

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