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ग्रन्थ
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दशमी की
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| जन्म नक्षत्र जन्म तिथि पाश्व के नाम पाश्व विवाहित दीक्षा काल (कन दीक्षा ली)। केवलज्ञान प्राप्ति पार्श्व का निर्वाण का रहस्य अथवा अविबाहित
की तिथि
विवाह का प्रसंग नहीं | ३० वर्ष की अवस्था समवायांगसूत्र । विशाखा
आया है। कुमारावस्था में दीक्षा ली थी। नक्षत्र
में दीक्षा ली थी। पार्श्व की माता जब स्त्री ओर अभिषेक ३० वर्ष की वय में,तीन दिन चैत्र मास कीचतुर्थी
गर्भिणी थी तब उन्होंने के बिना कुमारा- केउपवास के प्रश्चात् ३०० | विशाखा नक्षत्र के योग आयश्यकनियुक्ति ,
पार्श्व(पास)में सर्प को वस्था में प्रव्रज्या शिष्यों के साथ आश्रम पद में पार्श्व को केवल देखा इससे पुत्र का | ली थी।। नामक उद्यान में दीक्षा | ज्ञान हुआ था। नाम.उन्होंनेपाव रखा
लो थी।
३० वर्ष की आयु चैत्र कृष्णा चतुर्थी के दिन, श्रावण शुक्ला पौष कृष्णा
में पौष कृष्णा पूर्वाह्न में आँवले के पेड़ के अष्टमी के दिन, कल्पसूत्र
नीचे शुक्ल ध्यान में लीनथे विशाखा नक्षत्र मध्यरात्रि
तब विशाखा नक्षत्र के योग में सम्मे तशिख
में केवल ज्ञान उत्पन्न हुआ। पर परिनिर्वाण
३० वर्ष की आयु तक | दीक्षा ग्रहण करने के चार सम्मेतशिखर पर, पौष कृष्णा
प्रसंग नहीं प्राप्त है |कुमारकाल रहा । माघ | मास पश्चात्, गौत्र कृष्णा | ६६ व्यक्तियों के तिलोयपण्णत्ति एकादशी
शुक्ला एकादशी को पूर्वा- | चतुर्थी को पूर्वाह्न काल | साथ, विशाखा हन में विशाखा नक्षत्र | में विशाखा नक्षत्र में | नक्षत्र के प्रदोष में दीक्षा ली। केवल ज्ञान
काल में । श्रावण शुक्ला सप्तमी को
मोक्ष प्राप्त हुआ पौष मास की
| प्रसेनजित् राजा ने | पौष वदि एकादशी के चैत्र कृष्णा चतुर्थी के श्रावण मास के शुक्ल कृष्ण दशमीके गुरुवर्ग ने पार्श्व | प्रभावती नामक | दिन, आषाढ़ नक्षत्र में दिन विशाखा नक्षत्र में पक्ष में, अष्टमी के शीलांक का
दिन वशाखा नाम की अपनी पुत्री पार्श्व दीक्षा अंगीकार की। चन्द्र का योग हुआ तब दिन, सम्मेत शखर चउच्पन्न नक्षत्र में चन्द्र स्थापना की । को दी ।
शुक्ल ध्यानावस्था में पर निर्वाण हुअ । महापुरिसचारय
केवल ज्ञान उत्पन्न हुआ। होने पर...।
| का योग
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