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परिशिष्ट-३
पाठान्तर (१) प्रणयन्त्यमी ब
सर्ग २, श्लोक ५५, पक्ति ड. (२) चरिता ब
२. ५७ ड. (३) तोयधारा ब
३. ७७ क. (४) मन्दिरम् ब
३. ११४ ब, (५) शातेकुम्भ अ
३. १२९ ब. (६) सेवधिः ब
३. १९५ ड. (७)स्थितिरिति ब
४. १२३ क. (८) ख्याति ब
४. १२७ फ. (९) प्रहतः निःस्वान ब
४. १६१ अ (१०) रतियौवनश्रियोः अ
५. १८ ब. (११) मा स्म ब
६. ८३ ब. (१२) स्वापेक्षा अ
६. १४५ क. (१३) संभवः अ
७. २२ अ. (१४) स्थवीयानुत्तमोत्तमः ब
७. २६ ब. नोट-छठे सर्ग का १४८ वां श्लोक (व्यवहारात्मके स्यातां... ...आदि ) बड़ौदा
वाली प्रति में नहीं है, मात्र अहमदाबाद वाली प्रति में ही पाया जाता है।
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