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पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव आत्मा के कल्याण करने का सर्वोत्कृष्ट अवसर है यह पंचकल्याणक महोत्सव। यदि इस अवसर पर भी हमारे परिणाम नहीं सुधरे तो फिर कौनसा अवसर आवेगा ? साक्षात् तीर्थंकर तो आपको समझाने के लिए आने से रहे।
भाई, इस निकृष्ट काल में यह सर्वोत्कृष्ट अवसर है। अतः इस अवसर को चूकना योग्य नहीं है। अपने परिणामों को सुधारने का महान अवसर है। ___यह पंचकल्याणक महोत्सव अपने कल्याण के लिए ही मनाया जा रहा है। यह भगवान का नहीं, अपना ही महोत्सव है। भगवान का कल्याण तो हो चुका है, पर अभी अपना कल्याण होना बाकी है। इसी का यह महान अवसर है।
------ आज भगवान की माता को सोलह सपने आये थे, उनके परिणाम निर्मल से निर्मल होते गये थे, उनके गर्भ में ऋषभदेव का जीव आनेवाला था। उनके परिणामों की निर्मलता का ही परिणाम समझिये कि अयोध्या में उसी दिन से १५ माह तक रत्नों की वर्षा हुई थी। उन्हीं के क्यों, सम्पूर्ण नगरवासियों के ही परिणाम सुधर गये थे। परिणामस्वरूप सर्वत्र समृद्धि का साम्राज्य आ गया था। रत्नों की वर्षा से और क्या होगा? यही तो होगा, यही हुआ; किसी को कोई आर्थिक कठिनाई नहीं रही।
आप सबके परिणाम भी निर्मल होंगे तो समझिये रत्नों की ही वर्षा होगी। खोटे परिणामों का फल तो पत्थरों की वर्षा होता है। जब परिणाम ही खोटे