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चौथा दिन गर्भकल्याणक ___ आज गर्भकल्याणक का दिन है। पंचकल्याणक महोत्सव का चौथा दिन
और पंचकल्याणक का पहला दिन। गर्भकल्याणक, जन्मकल्याणक, तपकल्याणक, ज्ञानकल्याणक और मोक्षकल्याणक - ये पाँच कल्याणक होने से ही इस महोत्सव को पंचकल्याणक महोत्सव कहते हैं। _ 'कल्याणं करोतीति कल्याणकः' उक्त व्युत्पत्ति के अनुसार कल्याण करने वाले को कल्याणक कहते हैं। ये पाँचों ही कल्याणक आत्मा के कल्याण के उत्कृष्ट निमित्त होने के कारण कल्याणक कहलाते हैं। हम सब भी आत्म-कल्याण तो करना ही चाहते हैं; इसीकारण हम सब इस पंचकल्याणक में उत्साहपूर्वक भाग ले रहे हैं।
यहाँ एक प्रश्न सम्भव है कि मोक्ष तो कल्याणस्वरूप है ही, केवलज्ञान भी कल्याणरूप ही है। तप भी कल्याण का कारण है। अतः तपकल्याणक, ज्ञानकल्याणक एवं मोक्षकल्याणक इन तीनों को कल्याणक कहना तो उचित ही है; किन्तु गर्भ में आना और जन्म लेना तो कल्याण के कारण नहीं हैं, पर यहाँ उन्हें भी कल्याणक कहा जा रहा है।
गर्भ में भी सभी आते हैं और जन्म भी सभी लेते हैं। प्रत्येक आत्मा ने अनन्त जन्म-मरण किए हैं और अनन्त दुःख भी उठाये हैं। जो जन्म-मरण दुःखरूप और दुःख के कारण हैं ; उन्हें कल्याणस्वरूप कैसे माना जा सकता है ? यह एक विचारने की बात है। ___ जन्म-मरण तो दोष हैं, उनका अभाव करके ही आत्मा परमात्मा बनता है। जो अठारह दोषों से रहित होते हैं, वे ही वीतरागी कहलाते हैं । अठारह दोषों में जन्म और मरण का नाम सबसे पहले आता है। जन्म-मरण तिरखा