Book Title: Panchkalyanak Pratishtha Mahotsava
Author(s): Ratanchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

View full book text
Previous | Next

Page 55
________________ छठवाँ दिन चुका था कि ये तीर्थंकर हैं । फिर भी क्या उनकी बारात की व्यवस्था में इसप्रकार की भोज्य सामग्री परोसी जा सकती थी ? 47 ऐसा लगता है कि कहीं कुछ गलतफहमी अवश्य हुई है। शास्त्रों में आखिर यही तो कहा गया है कि पशुओं का बंधन देखकर और करुण क्रन्दन सुनकर नेमिनाथ को वैराग्य हो गया। इसमें से यह कहाँ निकलता है कि वे पशु बारात की भोज्यसामग्री थे । इसकी व्याख्या करने वालों ने ही यह कमाल कर दिखाया है। बात यों भी हो सकती है । नेमिनाथ की दीक्षा की तिथि श्रावण शुक्ल छठवीं है। उन्हें वैराग्य भी दूलह के वेश में ही हुआ था । तात्पर्य यह है कि उनकी बारात द्वारका से झूनागढ़ श्रावण सुदी ६ को ही पहुँची थी । द्वारका और झूनागढ़ सौराष्ट्र में है, जहाँ आज भी बरसात में शादियाँ होती हैं। गाय आदि पशुओं का प्रजनन भी आषाढ़ - श्रावण में ही होता है । नेमिनाथ की बारात के निकलने वाले मार्ग का यातायात रोक दिया गया था । अतः शाम को जंगल से आने वाली गायें बल्लियों के बाडों में रुक गई थीं। ताजी ब्याही गाये अपने बछड़ों के लिए रंभा रहीं थीं। दूसरी ओर बछड़े भी माँ की प्रतीक्षा में बेचैन होकर रंभा रहे थे । यही दृश्य देखा था नेमिनाथ ने। जब उन्होंने पूछा कि इन गायों को यहाँ क्यों रोका गया है, तब उन्हें बताया गया कि आपकी बारात निकल रही है न; इस कारण यातायात पुलिस ने इस मार्ग का यातायात रोक दिया है। यह सुनकर नेमिनाथ इस विचार में चढ़ गये कि मेरी शादी के कारण ही ये गो-माताएँ अपने बछड़ों से बिछुड़ गई हैं और जोर-जोर से पुकार रही हैं; पर इनकी पुकार सुनने वाला कौन है? इनके इन दुःखों का कारण मैं ही हूँ । इसप्रकार के विचारों में मग्न नेमिनाथ जगत के स्वार्थीपन को देखकर विरक्त हो गये और दीक्षा लेने के लिए गिरनार की ओर चल दिये ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96