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तीसरा प्रकाश
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इन वो अवयवों के साथ उदाहरण, उपनय तपा निगमन इस तरह पास अवयव कहते हैं । जैसा कि वे सूत्र द्वारा प्रकट करते हैं :
"प्रतिमाहेन्दाहरणोपनयनिगमानान्यवयवाः" [न्यायस० १५११६२)
अर्थात-प्रतिमा, हेतु, उदाहरण, उपनय और निगमन ये पांच अवयव है । उनके वे लक्षणपूर्वक उदाहरण भी देते हैं—पक्ष के प्रयोग 5 करने को प्रतिज्ञा कहते हैं । जैसे—यह पर्वत अग्नि वाला है । साषनाता (सापनपनर) बसलाने के लिए पञ्चमी विभक्ति रूप से लिन के कहने को हेतु कहते हैं। जैसे- क्योंकि धूमवाला है। व्याप्ति को विमलाते हुए दृष्टान्त के कहने को उदाहरण कहते हैं। जैसे--- मो जो पूमवाला है वह वह अग्निवाला है। जैसे-रसोई का घर । यह साधम्यं 10 उपाहरण है । जो जो अग्निवाला नहीं होता वह वह धूमवाला नहीं होता। जैसे-तालाब । यह बंधयं उदाहरण है। उदाहरण के पहले भेव में हेतु की अन्वमव्याप्ति ( साध्य की मौजूदगी में साधन की मौजूदगी ) दिखाई जाती है और दूसरे भेद में व्यतिरेकग्याप्ति (साध्य की गैर मौजूदगी में साषन की गैर मौजूदगी) यतलाई 15 जाती है। जहां अस्वमव्याप्ति प्रदर्शित की जाती है उसे मन्वय दृष्टान्त कहते हैं और जहाँ व्यतिरेकव्याप्ति दिखाई जाती है उसे व्यतिरेक दृष्टान्त कहते हैं। इस प्रकार दृष्टान्त के वो भेद होने से दृष्टान्त के कहने प उदाहरण के भी दो भेद जानना चाहिए । इन दोनों उदाहरणों में से किसी एक का ही प्रयोग करना पर्याप्त . (काफी) है, अन्य दूसरे का प्रयोग करना अनावश्यक है। दृष्टान्त को प्रपेक्षा लेकर पक्ष में हेसु के वोहराने को उपनय कहते हैं । जैसेइसीलिए यह पर्वत धूमवाला है। हेतुपुरस्सर पक्ष के कहने को निगमन कहते हैं। जैसे-धूमवाला होने से यह अग्निवाला है। ये पांचों अवयव परापानुमान प्रयोग के हैं। इनमें से कोई भी एक न हो तो 2: