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न्याय-दीपिका सापक । इनमें से पहले विषिसापक के अनेक भेद हैं-(१) कोई कार्यरूप है, जैसे—'यह पर्वत अग्निवाला है, क्योंकि धूमवाला अम्पमा नहीं हो सकता' यहाँ 'धूम' कार्यरूप हेत है। कारण, म पनि का
कार्य है और वह उसके बिना न ता हुआ अग्नि का माम कराता 5 है। (२) कोई कारणरूप है, जैसे-'वर्षा होगी, क्योंकि विशेष बादल अन्यथा हो नहीं सकते' यहाँ विशेष मादल' कारण हेतु है। क्योंकि विशेष बादल वर्षा के कारण है और अपने कार्यभूत वर्ष का बोष कराते हैं।
शङ्का-कार्य सो कारण का नापफ हो सकता है, पर्योकि 10 कारण के बिना कार्य नहीं होता। किन्तु कारण कार्य के प्रभाव में
भी सम्भव है, जैसे-धम के बिना भी अग्नि देखी जाती है। प्रतएव भग्नि घूम की गमन नहीं होती! पद कार में माता ठीक नहीं है?
समाधान-नहीं। जिस कारण को शक्ति प्रकट है-प्रतिहत 15 है वह कारण कार्य का व्यभिचारी नहीं होता-नियम से कार्य का
जनक होता है। अतः ऐसे कारण को कार्य का मापक हेतु माननेमें कोई विरोध नहीं है। (३) कोई विशेषरूप है, जैसे- 'पह पक्ष है। मयोंकि शिधापा अभ्यथा हो नहीं सकती।' यहां शिशपा' विशेष
रूप हेतु है। क्योंकि शिशपा वृक्षविशेष है, मह अपने सामान्य20 भूत पक्ष का जापन करती है। कारण वृक्षविशेष वृक्षसामान्य
के बिना नहीं हो सकता है। (४) कोई पूर्वचर है, से– 'एक महल के बाद शकट का उदय होगा, क्योंकि कृत्तिका का डाय अन्यथा हो नहीं सकता' । 'यहाँ कृत्तिका का उदय' पूर्वचर हेतु है।
क्योंकि कृतिका के उदय के बाप मुहर्स के अन्त में नियम से शकट 25 का उदय होता है। और इसलिए इतिका का उपय पूर्वपर हेतु