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२३.
प्याय-दीपिका
प्रकार का अन्तिम मिवेदन
मेरे पाल गुरुवर्य श्रीमान् पर्द्धमान भट्टारक के श्रीचरणों के प्रसार से यह न्याय-बीपिका पूर्ण हुई। इस प्रकार धीमान प्राचार्य वर्षमान भट्टारक गुरुको कृपासे सरस्वती के प्रकर्ष को प्राप्त श्रीअभिनव धर्मभूषना. चार्य-बिरचित न्यायोपिका में परोक्षप्रमाण का प्रकाश करने वाला तीसरा प्रकामा पूर्ण सा।
न्यायदीपिका समाप्त हुई।
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