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न्याय-दीपिका
fearfar हेत्वाभासों में अन्यथानुपपत्ति का प्रभाव प्रकट ही है । क्योंकि स्पष्ट हो विरुद्ध, व्यभिचारी, वातिविषय और सत्प्रतिपदा के प्रभाव का निश्चय नहीं है। इसलिए जिस हेतु के अन्यथानुपपम्नश्व का योग्य देश में निश्चय है वही सम्पर्क हेतु है उससे भिन्न 5 हेवाभास है, यह सिद्ध हो गया ।
पुत्र श्याम अन्य मौजूद
दूसरे, 'गर्भ में स्थित मंत्री का चाहिए, क्योंकि वह मंत्री का पुत्र है, तरह ।' यहाँ हेत्वाभास के स्थान में fusों के पाञ्चरूप्य हेतुरक्षण की प्रतिव्याप्ति है, 10 और पाञ्चरूप्य हेतु का लक्षण नहीं है । इसका
भी बौद्धों के
प्रकार हैं :---
( काला ) होना मंत्री के पुत्रों की रूपय और नैया
इसलिए रूप्य स्पष्टीकरण निम्न
मंत्री के मौजूद पांच पुत्रों में कालेपन को देखकर मंत्री के गर्भस्थ पुत्र को भी जो कि विवादग्रस्त है, पक्ष करके उसमें कालेपन को सिद्ध करने के लिए जो 'मंत्री का पुत्रपना' हेतु प्रयुक्त किया जाता 15 है वह हेत्वाभास है- सम्यक् हेतु नहीं है, यह प्रसिद्ध ही है। क्योंकि उसमें गोरेपन की भी सम्भावना को जा सकती है। और वह सम्भावना 'कालेपन' के साथ 'मंत्रो का पुत्रमा' की अन्यथानुपपत्ति ( श्रविनाभाव ) न होने से होती है । अन्यथानुपपत्ति का अभाव इसलिए है कि कालेपन के साथ मंत्री के पुत्रने कर न तो सहभाग 20 नियम है और न क्रमभाव नियम ।
जिस धर्म का जिस धर्म के साथ सहभाव नियम - एक साथ होने का स्वभाव होता है वह उसका जापक होता है । अर्थात- वह उसे जनाता है। जैसे शिशपात्व का वृक्षत्व के साथ सहभाव नियम हैं, इसलिए शिशपात्थ हेतु वृक्षत्व को जगाता है। और जिसका
25 जिसके साथ *मभाव नियम — क्रम से होने का स्वभाव होता है वह