Book Title: Nirgrantha-3
Author(s): M A Dhaky, Jitendra B Shah
Publisher: Shardaben Chimanbhai Educational Research Centre

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Page 311
________________ २६६ ६४. वही १/२२. ६५. वही १/२२. ६६. वही १/ २२. ६७. वही १/२२. ६८. वही १/२२. ६९. देसोही, परमोही, सव्वोहि ति य तिधा ओही । गोम्मटसार जीकाण्ड ३७२, श्रीपरमश्रुत प्रभावक मंडल श्रीमद राजचंद्र आश्रम, अगास वि.सं. २०४१ / ई. सन् १९८५. ७०. गोम्मटसार - जीवकाण्ड - ३७६. सभाष्यतत्त्वार्थाधिगमसूत्र..... ७१. आवश्यक निर्युक्ति, श्री भेरुलाल कनैयालाल कोठारी, धार्मिक ट्रस्ट, मुंबई वि० सं० २०३८ / ई० स० १९८२, २६-२८.७६. ७२. विशेषावश्यकभाष्य, गा. ५८०. ७३. सभाष्य तत्त्वार्थाधिगमसूत्र १/२४, पृ० ४२. ७४. आहारसरीरिंदियपज्जत्ती आणपाणभास माणो । गोम्मटसार जीवकाण्ड, ११८. - ७५. आवश्यकनियुक्ति, ७६. ७६. नन्दीसूत्र (नन्दीसूत्र अनुयोगदाराई) २३-२५. ७७. ऋजुविपुलमती मनः पर्यायः । सभाष्यतत्त्वार्थाधिगमसूत्र, १/२४. - ७८. गोम्मटसार - जीवकाण्ड- ४४०. ७९. सर्वार्थसिद्धि-१/९ तत्त्वार्थवार्तिक १.२६. विशेषावश्यकभाष्य - ८४. ८०. ८१. सभाष्यतत्त्वार्थाधिगमसूत्र - १/२६. ८२. वही १/२८. ८३. तद्दन्तभागे मनः पर्यायस्य । वही १/२९. ८४. वही १/३०. ८५. नन्दीसूत्र-३. ८६. एगन्तेण परोक्खं लिंगिय मोहाइयं च पच्चक्खं । इन्दिय मणोभवं जं तं संववहारपच्चक्खं ।। विशेषावश्यकभाष्य. गा० ९५. - ८७. (अ) तत्रसंव्यवहारिकं इन्द्रियानिन्द्रियम् प्रत्यक्षम् । लघीयस्त्रय ४. (ब) मुख्यसांव्यवहारिकभेदेन द्वैविध्यं प्रत्यक्षस्य... प्रमाणमीमांसा - १ / १४. (स) प्रत्यक्षं द्विविधं सांव्यवहारिकं पारमार्थिकं चेति । जैन तर्कभाषा, संपा. पं. सुखलालनी संघवी, सरस्वती पुस्तक भंडार, अहमदाबाद १९९३, १०२. ८८. द्विविधं इन्द्रियनम् अनिन्द्रियजं व वही, पृ. २. ८९. सभाष्यतत्त्वार्थाधि. १ / १४. - Jain Education International - ९०. अवग्रहेहापायधारणाभेदाच्चतुर्विधम्- जैनतर्कभाषा. पृ० ३. ९१. प्रमाणनयतत्त्वालोक २.८. ९२. स्वोत्पत्तावात्मव्यापारमात्रापेक्षं पारमार्थिकम् । जैनतर्कभाषा. पृ० ७. Nirgrantha For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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