Book Title: Nirgrantha-3
Author(s): M A Dhaky, Jitendra B Shah
Publisher: Shardaben Chimanbhai Educational Research Centre

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Page 386
________________ Vol. III - 1997-2002 तपागच्छ - बृहद्पौषालिक शाखा ३४१ ४०. जैनगूर्जरकविओ, भाग ४, पृष्ठ १६९. ४१. मुनि जिनविजय, संग्रा. संपा., जैन ऐतिहासिक गूर्जर काव्य संचय, प्रवर्तक श्रीकांतिविजयजी-जैन ऐतिहासिक ग्रन्थमाला, पुष्प ७, भावनगर १९२६ ई. स., पृष्ठ १-१३. रास सार, पृष्ठ १-५. ४२. वही, पृष्ठ १३. ४३. जैनगूर्जरकविओ, भाग ४, पृष्ठ १६३-६४. ४४. वही, भाग १, पृष्ठ ३७९-८०. ४५. Vora, Ibid., p. 93, 210, 702, 820, 837. जैनगूर्जरकविओ, भाग २, पृष्ठ ९३-१११. ४६. Vora, Ibid., p. 315, जैनगूर्जरकविओ, भाग २, पृष्ठ २३०. ४७. जैनगूर्जरकविओ, भाग १, पृष्ठ ३४५-४६. ४८. वही, भाग २, पृष्ठ ५३. ४९. मुनि कांतिसागर, पूर्वोक्त, पृष्ठ १३३-३४. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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