Book Title: Moksh Marg me Bis Kadam
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Arunoday Foundation

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Page 21
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - मोक्ष मार्ग में बीस कदम, चूल्हेमें लकड़ी डाली गई। उसे जलाने के प्रयास में फूंक मार मारकर बुढियाका चेहरा लाल हो गया; परन्तु लकड़ी गीली थी; इसलिए उसने आग नहीं पकड़ी। बच्चों को जोरसे भूख लग रही थी। भूख मिटाने के लिए खिचड़ी पकाना जरूरी था। आखिर बुढिया पड़ौस से दो सूखी लकडियाँ माँग लाई। उन लकड़ियों ने आग पकड़ी ओर खिचड़ी पक गई। ___ हमारा भी यह कार्य है। साधु प्रवचन क्यों करते हैं ? वे आपके मस्तिष्करूपी तपेले में धर्मरूपी खिचड़ी पकाना चाहते हैं; परन्तु आसक्ति के जल से आपका चित्त भीगा है; इसलिए साधुओं के सारे प्रयत्न व्यर्थ जाते है। अनासक्ति की धूप से चित्त सूखेगा तो प्रवचनों से उस में ऐसी आग लगेगी कि उससे धर्मरूपी खिचड़ी आसानी से पक जायगी।। परिवार की आसक्ति मन को उदास करती है - रूलाती हैकिन्तु अनासक्ति उसके आँसू पोंछती है। विविजेता सिकन्दर जब मरने पर कब्रमें गाड़ दिया गया, तब उसकी माँ रोती हुई वहाँ गई। कब्रिस्तान में वह करूण क्रन्दन करने लगी- "मेरा बेटा कहाँ है ? किसने छिपाया उसे ? बेटा लौटा दो! मेरे प्राण ले लो! बेटे के बिना मैं कैसे जीऊँगी ?' तभी एक फकीर ने उसे समझाया :- "अरी पगली! तू किसे पुकार रही है ? सिकन्दर तेरा बेटा होता तो तुझे इस तरह रोता-बिलखता छोड़कर क्या कहीं जा सकता था ? संसार में कोई किसीका नही हैं : यह संसार महासागर है, हम मानव हैं तिनके । इधर-उधर से बहकर आये, कौन यहाँ पर किनके ? इस कब्रिस्तान में हजारों बेटे गाड़े जा चुके हैं। कोई भी अपनी माँ की पुकार पर बाहर नहीं निकला । तू भी एक दिन यहीं-कहीं गाड़ दी जायगी! इसलिए बेटे का मोह छोड़कर घर लौट जा।" इस उपदेश से बुढिया की आसक्ति कम हुई और वह अपने निवास पर लौट गई। __ महात्मा बुद्ध के सामने भी ऐसी ही एक बुढिया अपने एक मात्र पुत्र की लाश को छाती से चिपटाकर आ खड़ी हुई। रो-रोकर गिड़गिड़ाती हुई वह बोली कि आप इसे जिन्दा कर दीजिये, आप करूणासागर है-- दयालु हैं | मुझ पर थोड़ी-सी दया कीजिये और मेरा दुःख मिटा दीजिये। ___महात्मा बुद्धने उसे समझाने के लिए कहा :- “मन्त्र द्वारा मैं तेरे बेटे को अभी जिन्दा कर देता हूँ।चिन्ता मत कर, जा, किसी ऐसे घर से सरसों के कुछ दाने माँग ला, जिसमें पहले कोई मरा न हो।" बुढिया प्रसन्न होकर सरसों के दाने लेने चली गई।सुबह से शाम तक वह प्रत्येक घरका चक्कर लगा कर थक गई; परन्तु अभिमन्त्रित करने के लिए कहीं से सरसों के दाने नहीं पा १४ For Private And Personal Use Only

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