Book Title: Moksh Marg me Bis Kadam
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Arunoday Foundation

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Page 151
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandiri - मोक्ष मार्ग में बीस कदम. बिक्री हुई। दिन-भर वह ग्राहकों को कपडों के टुकडे फाड-फाड कर देता रहा। एक मिनिट भी इधर-उधर जाने या चुपचाप बैठने की उसे फुरसत नहीं मिली। रात को सपने में उसे दुकान का वही भीड-भाड वाला दृश्य दिखाई दिया। उसी प्रकार कपडे फाड-फाड कर वह देता रहा, सुबह नींद खुलने पर उसने देखा कि उसने अपनी धोती के ही चीर-चीर कर आठ-दस टुकडे कर रखे थे! जिसका मन वश में नहीं रहता, वही सपने में बह कर इस प्रकार मुसीबत मोल लेता है, इसीलिए मन के संयम पर जोर दिया जाता हैं। १४6 For Private And Personal Use Only

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