Book Title: Moksh Marg me Bis Kadam
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Arunoday Foundation

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Page 164
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir • मोक्षमार्ग. जज ने मुल्ला से पूछा :- “तुमने इसे कितनी जोर से पीटा था ?" मुल्ला ने फरियादी के पास जा कर पूरी ताकत से एक तमाचा मारने के बाद कहाः"इसका चौथाई हिस्सा मान लें हुजूर!" इस प्रकार मुल्ला ने जिसकी पिटाई बाजार में की थी, उसकी कोर्ट में भी कर दी, जिससे भविष्य में वह शिकायत न करे और जज के प्रश्न का उत्तर भी दे दिया। “एक पन्थ दो काज" अथवा "एक तीर में दो शिकार" कहावत को चरितार्थ करके बता दिया; उसी प्रकार तपस्या के द्वारा जीव शारीरिक-मानसिक अस्वास्थ्य तो प्राप्त करता ही है, कर्मो की निर्जरा भी करता तपस्या उमंग के साथ होनी चाहिये; अन्यथा उससे अपेक्षित लाभ न होगा और श्रम व्यर्थ जायगा। बड़े मुल्ला ने पार्टनरशिप में चौपाटी पर शर्बत की एक दूकान शुरू की। आधा-आधा माल का खर्च दोनों पार्टनरों ने उठाया। तय हुआ कि एक रुपये में एक गिलास बेचेंगे। अठन्नीअठन्नी (पचास-पचास पैसे) दोनों बाँट लेंगे। इससे खर्च निकाल कर जो भी दोनों को बचेगा, वह उनकी आय होगी-लाभ होगा। दोपहर तक दोनों बैठे रहे । एक भी ग्राहक नहीं आया मुल्ला को प्यास लगी। उसने पार्टनर से एक गिलास शर्बत माँगा। वह बोला- “यह दूकान है। यहाँ उधारी नहीं चलेगी।" मुल्ला की जेब में एक रूपया था। उसने रूपया पार्टनर को दे कर एक गिलास शर्बत पी लिया । पार्टनर ने एक अठन्नी मुल्ला को लौटा दी। कुछ समय बाद पार्टनर को प्यास लगी। उसने भी वैसा ही किया । मुल्ला को अपनी अठन्नी वापस मिल गई । इस प्रकार दोनों बारीबारी से शर्बत पीते रहे और एक ही अठन्नी इधर से उधर घूमती रही। शाम तक शर्बत समाप्त हो गया और लाभ कुछ नहीं हुआ। जो पूँजी लगी थी, वह खर्च हो गई। घर आ कर मुल्ला ने पत्नी से कहा कि व्यापार तो खूब चला; परन्तु मुनाफा कुछ नहीं हुआ। इसी प्रकार जो लोग उत्साह पूर्वक प्रसन्नता के साथ तपस्या करते हैं, उन्हीं को मोक्ष का सुख मिलता है, दूसरों को नहीं। द्रोणाचार्य ने आटे का कबूतर पेड पर रख कर अपने शिष्यों के लक्ष्यवेध की परीक्षा ली। बाण चलाने से पहले प्रत्येक शिष्य से पूछा कि तुम्हें क्या-क्या दिखाई देता है ? उत्तरों से पता चला कि किसी को आचार्य का और अपना शरीर, किसी को आसमान और पेड, किसी को शाखाएँ और पत्तियाँ, किसी को फूल, फल और पक्षी दिखाई दे रहे थे; परन्तु जब अर्जून से पूछा गया तो उसने कहा कि मुझे केवल उस पक्षी की आँख दिखाई दे रही है और कुछ भी नहीं । द्रोणाचार्य इस उत्तर से बहुत प्रसन्न हुए। अर्जुन को बाण छोडने का आदेश मिला और १५७ For Private And Personal Use Only

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