Book Title: Moksh Marg me Bis Kadam
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Arunoday Foundation

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Page 135
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - मोक्ष मार्ग में बीस कदम, ढेर सारे प्रश्न पूछे जायँगे-चोरी पकड़ी जायगी। आखिर अपनी बुद्धि के अनुसार बालक ने सोचा कि मौन रहना ही सब से अच्छा उपाय है। न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी! उसने मुँह बन्द कर लिया।कुटुम्बियों द्वारा पूछे गये किसी प्रश्न का कोई उत्तर नहीं दिया। माँ-बाप चिन्तित हुए कि न जाने लल्लू को किस बिमारी ने घेर लिया है कि गुम-सुम रहता है-मुँह तक नहीं खोलता? तत्काल फोन करके पिताजी ने डाक्टर को घर बुलाया। बालक की तबीयत देखकर कहा कि मैं अभी एक ही इंजैक्शन में इसका मुंह खुलवा देता हूँ। आप चिन्ता न करे । फिर इंजैक्शन की सूई बैग से ज्यों ही बाहर निकाली त्यों ही घबराकर बालक चिल्ला उठा :- “नहीं, सूई मत लगाइये। मैंने दस पैसे चुराकर जामुन खा लिये थे; इसी लिए चुप रहकर जीभ का रंग छिपा रहा था। अब मैं कान पकड़ता हूँ। कभी चोरी नहीं करूँगा। मुझे माफ कर दीजिये।" इस प्रकार भय ने उसे सुधार दिया। सारांश यह है कि यद्यपि निर्भयता साहस और वीरता का लक्षण हैं, फिर भी उदंड और गैरजिम्मेदार बनाने वाली निर्भयता अनुपादेय है। १२८ For Private And Personal Use Only

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