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गुजराती दूसरे संस्करण के अवसर पर.....
__ 20 अगस्त, 2000 के दिन गुजरात के माननीय गवर्नरश्री के करकमलों द्वारा इस पुस्तक का विमोचन किया गया था और सिर्फ 6 महिनों में यह दूसरा संस्करण आपके सामने पेश कर रहा हूँ। मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारी के बारे में मरीजों ओर उनके परिवार के लोगों तथा जिज्ञासु व्यक्तिओं को गुजराती में योग्य मूलभूत जानकारी देने के हेतुसर लिखा गया यह पुस्तक अपने उद्देश्य में अधिकतर सफल भी हुआ है । इस पुस्तक का मुख्य हार्द बीमारियों के समयसर और योग्य उपचार के साथ साथ समझदारीपूर्वक के प्रयत्नों से बीमारी को रोकना है । इसके उपरांत डॉक्टर
और मरीज के संबंधों में ज्यादा उष्मा लाने का प्रयास भी इस पुस्तक के माध्यम से सफल हुआ है। विशेषकर यह पुस्तक समाज तथा समाज के प्रत्येक व्यक्ति के दैनिक व्यवहार, अभिगम (attitude) और दिनचर्या (lifestyle) में योग्य सुधार लाने में पथदर्शक साबित होगा तो मुझे संपूर्ण तृप्ति का एहसास होगा ।
मुझे पाठकों का सुंदर प्रतिसाद मिला है इसलिए मैं उनका आभार व्यक्त करता हूँ। कुछ सलाह-सूचन और टिप्पणियाँ भी मिली है। जनरल प्रेक्टिस करने वाले मेरे चिकित्सक मित्रों की ओर से भी पूछताछ होती रही है । इसके बाद सोचा कि कुछ संशोधन के साथ दूसरा संस्करण प्रकाशित किया जाए । मेरे गुरुवर श्री डॉ. गुणवंतभाई ओझा साहब ने पुस्तक संपूर्णतया पढ़कर कुछ आवश्यक सलाह-सूचन दिए और उसके अनुसार मैंने नये संस्करण के बारे में द्रढ निर्धार किया। यह पुस्तक लिखने का समय कैसे मिला इस बारे में लोग सवाल करते है। प्रथम संस्करण के विमोचन के समय मैंने अपने प्रवचन में स्पष्ट बताया था कि सिर्फ प्रभु की प्रेरणा और अंतर की करुणा से यह सफलता मुझे मिली है। कभी-कभी रात्रि के 12.30 बजे तक बैठकर तैयारी की है । मेरी सौजन्यशील धर्मपत्नी चेतना के सुंदर टाइम-मेनेजमेन्ट
और स्नेही श्री उपेन्द्रभाई दिव्येश्वर के फोलो-अप का यह परिणाम है । यह सब परिबल इस समय भी काम कर गए।
सतत होती रहती पूछताछ को ध्यान में रखकर इस संशोधित संस्करण में एक्स-रे आदि से मस्तिष्क की जाँच - न्यूरो रेडियोलोजी, ब्रेन हेमरेज
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