Book Title: Mantra Maharnav
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir मं०म० // 298 // अथ बृहस्पतिपूजनयन्त्रम्. पू० ख०१ मितं. तरं० 11 यंत्रं मूर्ति वा ताम्रपाने निधाय धृतेनात्यज्य तदुपरि दुग्धधारां जलधारांच दत्त्वा स्वच्छवस्त्रेण संशोष्य पुष्पाद्यासनं दत्त्वा पीठमध्ये संस्थाप्य प्रतिष्ठां च कृत्वा पुनर्थ्यात्वा पायादिपुष्पांतैरुपचारैः संपूज्य आवरणपूजां कुर्यात् // तद्यथा-पट्कोणकेसरेषु आग्नेय्यादिचतुर्दिक्षु मध्ये दिक्षु च ॐ वाँ हृदयाय नमः हृदयश्रीपादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः // इति सर्वत्र // 1 // ॐ वीं शिरसे स्वाहाँ / शिरःश्रीपा० // 2 // ॐ बं शिखायै वषट् / शिखाश्रीपा० // 3 // ॐ 3 कवचाय हुम् / कवचश्री पा०॥४॥ ॐ वौं नेत्रत्रयाय वौषट् नेत्रत्रयश्रीपा० // 5 // ॐ वः - अस्त्राय फटू अवश्रीपा० // 6 // इति षडंगानि पूजयेत् // ततः पुष्पांजलिमादाय मूलमुच्चार्य “ॐ अभीष्टसिद्धिं मे देहि शरणागतवत्सल॥ भक्त्या समर्पये तुयं प्रथमावरणार्चनम् // 1 // " इति पठित्वा पुष्पांजलिं च दत्त्वा पूजितास्तर्पिताः संतु इति वदेत् // इति प्रथमावरणम् // 1 // ततो भपुरे पूर्वादिक्रमेण इन्द्रादिदश दिक्पालान् बजायायुधानि च ॐवृहस्पतय For Private And Personal Use Only

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