Book Title: Mantra Maharnav
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Page 679
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir 40 करेवरनलक्ष्मीपति शंकराचारोंदीप स्त्रिाय वा पुरुषेणापि नियमाल्लिंगसन्निधो // 21 // अन्दं जप्तमिदं स्तोत्रं पुत्रदं नात्र संशयः / शंकरमातुशंकरवि इत्युक्त्वांतर्दधे बालः सोपि विप्रो गृहं गतः // 22 // इति श्रीस्कंदपुराणे काशीखंड विश्वेश्वरस्तोत्रं संपूर्णम् // अन्यः पुत्रप्राप्तिप्रयोगः॥मंत्रो यथा-"ॐ ह्रां ह्रीं हूँ पुत्रं कुरुकुरु स्वाहा"इति द्वादशाक्षरो मंत्रः / अस्य विधानम् // चूतवृक्षसमारूढो जपेदेकायमानसः॥ अपुत्रो लभते पुत्र नान्यथा शंकरो दितम् // 1 // इति द्वादशाक्षरमंत्रप्रयोगः // पुत्रोत्पत्तिकारकयत्रम् // इस यंत्रको अच्छे नक्षत्र और शुभ दिनमें गोरोचनसे भोजपत्रपर लिख गूगलकी धूप देकर सोना या चांदी में मढायकर ध्यास्त्रीके कंठमें बांधे तो जिसस्त्रीके लडका न होता होवै अथवा होकर मरजाता होवै BIPI तो उस्के निश्चय पूर्वक पुत्र उत्पन्न होकर जीवता है इसमें संदेह नहीं इस यंत्रका वडा प्रभावजानना // 1 // मृतव सालक्षणं यत्नं च-(दत्तात्रेयतन्त्रे) // गर्भः संजातमात्रो हि पक्षे मासे च वत्सरे // म्रियते द्वित्रिवर्षेषु यस्याः सा मृतवत्सका // 1 // तस्योपायः॥अत्र योगः प्रकर्तव्यः यथाशंकरभाषितम् // मार्गशीर्षथ वा ज्येष्ठे पूर्णायां लेपिते गृहे // 2 // नूतनं कलशं पूर्ण गन्धतोयेन कारयेत् // शाखाफलसमायुक्तं नवरत्नसमन्वितम् // 3 // सुवर्णमुद्रिकायुक्तं षट्कोणमण्डलस्थितम् // तन्मध्ये पूजयेद्देवीमेकांती नाम विश्रुताम् // 4 // गन्धपुष्पाक्षधूपदीपनवेद्यसंयुतैः॥ अर्चयेद्भक्तिभावेन मधुना दुग्धमापकैः॥ 5 // वाराही च तथा चान्द्री बाही माहेश्वरी तथा // कौमारी वैष्णवी देवी षट्सु पत्रेषु मातरः॥६॥ पूजयेन्मंत्रभावेन दधिपिंडानि कारयेत् // सप्तसंख्याप्रमाणा For Private And Personal Use Only

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