Book Title: Mantra Maharnav
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Page 681
________________ www.kobatm.org Acharya Shellssagaur yanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra एकवर्णा गवा क्षीरैः कन्याहस्तेन पेषयेत् // 1 // ऋतुकाले पिबेदध्या पलार्द्ध तदिनेदिने॥क्षीरशाल्यन्नमुद्रांश्च लघ्वाहार प्रदापयेत् // एवं सप्तदिनं कुर्याध्यापि लभते सुतम् ॥२॥श्वेतायाः कंटकार्याश्च मूलं तद्वच्च गर्भकत्॥न कर्म कारयेत् किंचिदर्ज 15TION येच्छीतमातपम् // 3 // शिफौबहिशिखायास्तु क्षीरेण परितोषितम् ॥पिबेहतुमती नारी गर्भधारणहेतवे // 4 // 199 919 अश्वगंधाकषायेण सिद्धं दुग्धं घृतान्वितम्॥ऋतुस्नातांगना प्रातः पीत्वा गर्ने दधाति हि // 5 // अथ गर्भप्राप्ति यंत्रम्॥मेहतरजबाईलका कौल है कि यह दुवा हज़रतअहमद मुजतवी महम्मद मुस्तफेसे वास्ते पैदाइश फरज 888 8 नन्दके पहुंची है जिस्के लडका पैदा न होताहो इस यंत्रको स्त्री अपनी दाहिनी रान अर्थात जंघामें बांधै तो इन्शाल्लाफरजन्द अर्थात् लडका नेक जमाल अर्थात् सुन्दर रूपवाला पैदा होगा अगर शक लावे तो काफर है॥ इति सन्तानोपायः // अथ प्रथमरजस्वलायाः। शुभाशुभम् // प्रथमो ज्ञायते कालो रजोदर्शनकारकः // शुभाशुनं प्रयत्नेन लक्षणज्ञा रजस्वला // 1 ॥खो वैधव्यमिन्दौ तु सुपुत्र जननी भवेत्॥ स्वात्महा मंगले सौम्ये बहुकन्या न संशयः॥ 2 // गुरौ सुपुत्रतां याति शनो कुत्सितसंततिः // एवं ज्ञात्वा नरो धीमान् प्रायश्चिनं तु कारयेत // 3 // इति श्रीमन्त्रमहार्णवे पूर्वखण्डे मिश्रतन्त्रे एकादशस्तरंगः // 11 // समाप्तोऽयं पूर्वखण्डः // 2 बर्दिशिखा मोरशिखा // For Private And Personal Use Only

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