Book Title: Mantra Maharnav
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kabati.org Acharya Shri Kalassagarsun Gyanmandir DI मं• म निषसंख्याषट्मात्रतः॥ 7 // सप्तमं तु पृथग्धृत्वा शुचिस्थाने विशेषतः // तद्भुक्त्वा गृहमागच्छेत् कन्या वा बटुकस्त्रियः॥ 8 // भोजयेद्दक्षिणां दत्त्वा प्रणामं कारयेत्ततः // विसृज्य देवतां चाथ नद्यां तत्कलशोदकम् // 9 // सुकुलं वीक्षयेद्धीमाशुभेन शुभमादिमि० तं. शेत् // विपरीतं पुनः कुर्याद्यागं तावत्सुसिद्धिदम् // 10 // प्रतिवर्षमिदं कुर्याद्दीर्घजीवी मुतो भवेत् // सिद्धियोगमिदं ज्ञानं नान्यथा शंकरोदितम् // 11 // अस्य मंत्रः “ॐ नमः परब्रह्मपरमात्मने अमुके गृहे गर्भजीवितं सुतान कुरुकुरु स्वाहा॥” इति मंत्रमयुतं जपेत् / सिद्धिः॥१॥ अथ काकवन्ध्यालक्षणं यत्तं च // पूर्व पुत्रवती या सा क्वचिद्वन्ध्या भवेयदि // काकवन्ध्या तु सा ज्ञेया चिकित्सा तत्र कथ्यते // 1 // विष्णुकांतां समूलां तु पिष्ट्वा महिषीदुग्धके॥महिषीनवनीतेन ऋतुकाले तु भोजयेत् // 2 // एवं सप्तदिनं कुर्यात् पुनर्गर्ने च लभ्यते // तत्र मंत्रः “ॐ नमो शक्तिरूपाय अमुकगृहे पुत्रं कुरुकुरु स्वाहा”। अष्टोत्तरशतं जपेत् सिद्धिः // 1 // औषधीप्रयोगो यथा // तत्रादौ बन्ध्याशुद्धिप्रयोगः (तंत्रसारे) एकविंशद्दिनं यावदुग्धेन सह मेथिकाम् // मेथी तोलकमेवं च खंडकं तोलकद्वयम् // 1 // घृतं / तोलकमेकं च पिबेदुग्धेन मिश्रितम् // मृतवत्सा मृतगर्भा काकबंध्या तथैव च // 2 // पुत्रहीना च बन्ध्या च पंच चैवं प्रकीर्तिताः // संह। रत्सर्वदोषांश्च मेथीभक्षणमुत्तमम् // 3 // नाडीशुद्धायां स्त्रियामुपरिऋतुकालमिदमौषधं देयम् // पलाशपत्रयोगः // (दत्तात्रेयतंत्रे)॥ पत्रमेकं पलाशस्य गर्भिणीपयसान्वितम् // ऋत्वंते तानि पीतानि बंध्या भवति गर्भिणी // 1 // तत्र मंत्रः-"ॐ नमः सिद्धिरुपाय अमुकी पुत्रं कुरुकुरु स्वाहा" / अष्टोत्तरशतं जपेत् / सिद्धिः॥१॥अथानेकयोगाः (चिकित्साशास्त्रे ) // समूलपत्रां साक्षी रविवारे समुद्धरेत् // 21 // 1 सांक्षी लक्ष्मणा इतिबोध्यम् / For Private And Personal Use Only

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